हरियाणा,किसानो के लिए खुशखबरी आसमान छू सकते हैं कपास के दाम
Haryana Cotton production : पछले साल के कपास की कम पैदावार होने के कारन इस बार भी कपास की फसल के दाम आसमान को छूने वाले हैं|
Haryana Cotton production
कपास में पिंक बॉल वर्म के गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए विभाग ने कपास उत्पादक जिलों के लगभग 85 प्रतिशत गांवों को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (हिसार) के साथ मिलकर किसानों को मेलों, गोष्ठियों और प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षित कर दिया है।
हरियाणा सरकार ने राज्य में देशी कपास के उत्पादन को बढ़ावा देने का फैसला लिया है
हरियाणा सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. इस फैसले के तहत देशी कपास के उत्पादन को बढ़ावा दे रही हरियाणा सरकार हरियाणा का कृषि व किसान कल्याण विभाग अपनी इस योजना के तहत राज्य में देशी कपास का रकबा बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. जिसके मद्देनजर हरियाणा सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. इस फैसले के तहत देशी कपास के उत्पादन को बढ़ावा दे रही हरियाणा सरकार|
प्रदेश में कपास मुख्य रूप से सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, सोनीपत, पलवल गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी, चरखी दादरी, नारनौल, झज्जर, पानीपत, कैथल, रोहतक और मेवात जिलों में उगाई जाती है। पिछले सीजन में कुछ हिस्सों में पिंक बॉल वर्म से कपास की फसल को नुकसान हुआ था। कपास में पिंक बॉल वर्म के गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए विभाग ने कपास उत्पादक जिलों के लगभग 85 प्रतिशत गांवों को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (हिसार) के साथ मिलकर किसानों को मेलों, गोष्ठियों और प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षित कर दिया है।
हरियाणा सरकार देशी कपास लगाने वाले किसानों (farmer) को वित्तीय मदद उपलब्ध कराएगी. ऐसे किसानों को हरियाणा सरकार अपनी इस योजना के तहत प्रति एकड़ 3 हजार रुपये की वित्तीय मदद देगी.
इन जिलो में कम हुआ था उत्पादन
जिले में गत खरीफ सीजन की प्रमुख फसल कॉटन का औसत उत्पादन कम हुआ। ऐसे में अब किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए रिपोर्ट बनाकर प्रशासन ने सरकार को भेज दी है। भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार फतेहाबाद जिले में गत वर्ष के मुकाबले करीब 51 किलोग्राम कॉटन प्रति एकड़ कम हुआ है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अनुसार फसल खराब होने के साथ-साथ औसत उत्पादन कम होने पर भी मुआवजे का प्रावधान किया है।
ऐसे में इस बार कपास का उत्पादन गत वर्षो की तुलना में काफी कम है। इसके आधार पर किसानों को बीमा का लाभ मिलेगा। कृषि विभाग के अनुसार जिले में इस बार कपास का औसत उत्पादन प्रति एकड़ 6 क्विंटल 2 किलो 966 ग्राम हुआ है। वहीं गत वर्ष 6 क्विंटल 53 किलो 344 ग्राम हुआ। वहीं वर्ष 2018 में कपास का उत्पादन 7 क्विंटल के करीब रहा था। ऐसे में इस बार उत्पादन कम हुआ है।
FAQ- Haryana Cotton production
कपास का सबसे बड़ा उत्पादक जिला कौन सा है?
कपास की खेती के तहत सबसे बड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र में है, इसके बाद गुजरात का स्थान है।
हरियाणा में कपास उत्पादन के लिए कौन सा जिला प्रसिद्ध है?
कपास मुख्य रूप से हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों में उगाया जाता है|
Haryana Matrushakti Udyamita Yojana